किशोरी के गायब होने के सवाल पर तिलक विहार पुलिस चौकी में शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे से ही माहौल गरमाने लगा था, लेकिन पुलिस मामले को हल्के में लेती रही। पुलिस ने इसे महज झगड़े का मामला माना और यह सोचा कि थोड़ी देर में सबकुछ शांत हो जाएगा। पुलिस की यही सोच इस मामले में सबसे बड़ी चूक साबित हुई। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किशोरी के परिजन व इनके पड़ोसी के बीच चौकी में भी बहसबाजी जारी रही। दोनों पक्षों की ओर से करीब दो दर्जन लोग चौकी में थे। दोनों पक्षों के लोग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। चौकी आने से पहले इनके बीच मारपीट भी हुई। पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए इन्हें मेडिकल के बाद घर भेज दिया। यह पुलिस की सबसे बड़ी चूक साबित हुई।
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जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : किशोरी के गायब होने के सवाल पर तिलक विहार पुलिस चौकी में शनिवार रात करीब साढ़े दस बजे से ही माहौल गरमाने लगा था, लेकिन पुलिस मामले को हल्के में लेती रही। पुलिस ने इसे महज झगड़े का मामला माना और यह सोचा कि थोड़ी देर में सबकुछ शांत हो जाएगा। पुलिस की यही सोच इस मामले में सबसे बड़ी चूक साबित हुई।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि किशोरी के परिजन व इनके पड़ोसी के बीच चौकी में भी बहसबाजी जारी रही। दोनों पक्षों की ओर से करीब दो दर्जन लोग चौकी में थे। दोनों पक्षों के लोग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। चौकी आने से पहले इनके बीच मारपीट भी हुई। पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए इन्हें मेडिकल के बाद घर भेज दिया। किशोरी के परिजनों का कहना है कि दोनों पक्षों के लोग करीब करीब शांत हो चुके थे। इस बीच एक व्यक्ति अचानक पुलिस कार्रवाई को लेकर अड़ गया। उसने थाने में यह कहकर हंगामा करना शुरू किया कि किशोरी के पक्ष के लोगों पर पुलिस कार्रवाई करे। इसके बाद स्थिति पुलिस के नियंत्रण से बाहर होती गई। चौकी के भीतर हो रहे हंगामे से किशोरी भी सदमे में आ गई। उसने पुलिस को कहा कि वह अब घर नहीं जाना चाहती है। इस बीच पुलिस ने उसे कमरे में बैठने को कहा। यहां किशोरी की स्थिति को देखते हुए उसके पास एक महिला पुलिसकर्मी को होना चाहिए था। चौकी में एक महिला पुलिसकर्मी मौजूद भी थी। लेकिन, लापरवाही का आलम यह रहा कि किशोरी को कमरे में अकेले छोड़ दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने किशोरी को कमरे में भेजकर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था। परिजनों के तीखे सवाल :
किशोरी के परिजनों का कहना है कि चौकी में भी दूसरे पक्ष के लोग पुलिस के सामने धमकी दे रहे थे। किशोरी को कहा जा रहा था कि तुम्हारे भाइयों को जेल भेज दिया जाएगा। पुलिस उन्हें चुप नहीं करा पा रही थी। पुलिस ने किशोरी के सामने ही उसके तीन रिश्तेदारों को जब कमरे में बंद कर दिया तो किशोरी घबराई और सदमे में चली गई। उसे कोई संभालने वाला नहीं रहा। इनका यह भी आरोप है कि किशोरी ने जिस चुन्नी से फांसी लगाई है, वह पड़ोस में रहने वाले युवक की मां ने उसे दिया था। यदि पुलिस किशोरी को यह भरोसा दिलाती कि तुम्हें और तुम्हारे रिश्तेदारों को कुछ नहीं होगा और उसके पास महिला पुलिसकर्मी मौजूद रहती, तो आज उसकी मौत नहीं होती। चौकी में ही क्यों की खुदकशी :
किशोरी के भाई ने इस मामले को प्रेम प्रसंग से जुड़ा होने की पुलिस की दलील को खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया गया कि उल्टा पड़ोसी युवक उनकी बहन को परेशान करता था। वह धमकी देता था कि यदि तुमने मुझसे शादी नहीं की तो मैं तुम्हारे भाइयों को मरवा दूंगा। हमलोगों ने कई बार पड़ोसी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना। मुझे यकीन है कि पड़ोसी मेरी बहन को जबरन अपने साथ ले गया। बाद में दबाव पड़ने पर उसने मेरी बहन को तिलक विहार चौकी के सामने छोड़ दिया। चौकी में भी उनलोगों ने पुलिस के सामने मेरी बहन को खूब धमकाया। अंत में मेरी बहन ने खुदकशी कर ली।
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